Sunday, July 13, 2008

दुखडा कासे कहूं

स्कूल और कालेज शासकीय काम काज की तरह धीरे धीरे खुलने लगे -बच्चे कामकाजी महिलाओं की तरह व्यस्त होने लगे -घरों में योगी के मन की तरह शान्ति और विद्यालयों में संसद की तरह अशांति का वातावरण निर्मित होने लगा - माँ-बाप को ऑडियो और बीडियो केसेट के शोरगुल से रहत मिली - जगह जगह कामिक्स किराये पर देने वाले अन्य व्यवसाय की तलाश करने लगे और विद्यार्थी रूपी पुत्र -पुत्री के स्कूल कालेज चले जाने और कर्मचारी रूपी पति के ऑफिस चले जाने से पत्नियाँ अकेले बोर होने लगी =उन्होंने पडोसिन को आवाज़ दी बहन क्या कर रही हो -झाडू लगा रहीं हूँ -यहीं आकर लगालो न में अकेले बोर हो रही हूँ =
कुछ पिता गण अपने पुत्र के भविष्य के साथ अपने भविष्य के प्रति चिंतित होने लगे =भविष्य के प्रति चिंतित होना मानव स्वभाव है और कुछ दुकाने हजारों सालों से आदमी की इसी मनोवृत्ति के कारण चल रही हैं =हर व्यक्ति अपना भविष्य जानना चाहता है =हाथ दिखता है जन्म कुंडली दिखता हैवे कह रहे थे ==अपने हाथों की लकीरें तो दिखादूं लेकिन -क्या पढेगा कोई किस्मत में लिखा ही क्या है == खैर -एक नव विवाहित जोड़ा एक ज्योतिषी के पास पहुंचा =ज्योतिषी ने पत्नी से पूछा क्या आप अपने पति का भविष्य जानना चाहती हैं - वह बोली आप तो इनका अतीत बतला दीजिये इनका भविष्य तो अब मेरे हाथ में है
ग्रामीण अंचलों के गुरुकुल रूपी विद्यालयों के मास्साब एक दूसरे से संपर्क करने लगे क्योंकि दोनों को मिल कर एक एक हफ्ता ड्यूटी देना है और ६-६ दिन के आकस्मिक अवकाश की दरखास्तें एक दूसरे को प्रदान करना है =शासकीय नियम के वावजूद वहाँ केजुअल लीव का रजिस्टर मेंटेन नहीं होता है क्यों किकोई केजुअल लीव का लाभ उठता ही नहीं है
रेगिंग प्रथा से जूझने के लिए विद्यार्थी किसी टायसन जैसे गुरु से शिक्षा लेने को बैचेन हैं और डोनेशन प्रथा से जूझने के लिए पिता श्री किसी मेहता जैसे गुरु से शिक्षा लेने दो वेताब है =वैसे वर्तमान छोटे छोटे स्कूलों की फीस वही से मिलने वाली किताबें और कॉपियाँ और ड्रेस वस्ते की कीमत किसी बड़े स्कूल के डोनेशन से कम नहीं बैठती
मैं अपना दुःख किसी से नहीं कहता -मगर सोचता हूँ की इस रेगिंग प्रथा को इस देश में प्रचलित करने वालों ने खेवर और बोलन के दर्रे से प्रवेश किया अथवा वे जल या वायु मार्ग से आए =क्यों कि इस प्रथा को चालू करने में विदेशी ताकतों के हाथ होने की संभावनाएं इसलिए भी बलवती हैं क्योंकि इतिहासवेत्ता बतलाते हैं कि सिन्धुकालीन सभ्यता में कोई चिन्ह उन्हें इस प्रथा के नहीं मिले और पुरातत्ववेत्ता बतलाते हैं कि मोहन जोद्रो और हरप्पा की खुदाई में उन्हें इस प्रथा के कोई अवशेष नहीं मिले =प्राचीन ग्रंथों के अनुसार गुरुकुलों में भी यह प्रथा नहीं थी
प्रथाये दो तरह की होती हैं अच्छी व् बुरी -यदि यह प्रथा अच्छी है तो इसका व्यापक प्रचार व् प्रसार होना चाहिए -प्राईमरी स्कूलों में भी यह प्रथा डाली जाना चाहिए -शासकीय और अर्धशासकीय कार्यालयों में भी इसे लागो करना चाहिए दूर दर्शन और समाचार पत्रों में शाश्कीय विज्ञापन देने चाहिए =और यदि प्रथा बुरी है और इसकी वजह से किसी जूनियर की जान भी जा सकती है और शिक्षा जगत पर लगा हुआ यह एक धव्वा है तो शिक्षित बनने -बच्चियों को शिक्षित बनने कि प्रेरणा वाले विज्ञापन टीबी पर बतलाने चाहिए क्योंकि विधार्थी और बच्चे टीबी से बहुत ज़ल्दी सीखते है =वे सीख जाते हैं कि कैसे कक्षाओं की कार्यवाही नहीं चलने देंगे -सब एक साथ बोलेंगे -कोई किसी कि नहीं सुनेगा -शिक्षक के बार बार अनुरोध करने पर भी शांती से अपनी शीट पर नहीं बैठेंगे -शिक्षक का घेराव करेंगे आदि इत्यादि -यह सब वे लाइव टेलीकास्ट से मार्गदर्शन प्राप्त कर रहें हैं
डोनेशन वाला दुःख भी में किसी से नहीं कहना चाहता -क्योंकि यह एक अंग्रेज़ी शब्द है और अंग्रेजी शब्द की बुराई करने पर सारे विश्व के अंग्रेज़ी प्रेमियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है - इसका हिन्दी शाब्दिक अर्थ है अनुदान =दान की बुराई और इस देश में -गज़ब हो जाएगा-यहाँ गाय का दान इसलिए होता क्योंकि उसकी पुँछ पकड़ क्र बैतरनी पार की जाती है =गाय न हो तो गाय के पैसे भी दान में गाय के नाम पर दिए जा सकते हैं मज़ा देखिये ११ रुपे में भी गाय आ सकती है =सब दानों में श्रेष्ठ विद्यादान है और विद्यादान का स्थल शाला है और शाला का विकास आवश्यक है तो शाला के विकास के लिए अनुदान आवश्यक है = जब शिक्षकों का विकास होगा तो विद्यार्थियों का विकास होगा और विद्यार्थी देश का भविष्य हैं तो देश का विकास भी होगा -गोया शाला विकास के लिए दिया जाने वाला डोनेशन देश के विकास के लिए सहायक है
दूसरी बात यह भी है की डोनेशन से पुत्र का विकास भी होता है =दान की हुई राशिः कई गुना होकर वापस मिलती है -जब दान के रूप में पुत्र का विकास होगा तो दान की हुई राशी कई गुना होकर दहेज़ के रूप में वापस मिलेगी
सार बात यह है की आपको किसी घोटाले में ही क्यों न शामिल होना पड़े पुत्र के भविष्य के लिए डोनेशन और पुत्री के भविष्य के लिए दहेज़ की जुगाड़ तो जमाना ही होगी जुगत तो लगानी ही होगी

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