Tuesday, July 15, 2008

सवाल पहले और बाद का

कहते हैं की माल पहले मिले और चोरी बाद में पकडी जाए तो समाचार पात्र में प्रकाशित योग्य समाचार बनता है =वास्तव में होना तो यह चाहिए कि चोरी कि रिपोर्ट के वाद इत्तेफाकन माल कि बरामदगी हो जाए तो मुख प्रष्ट पर प्रकाशित होने योग्य समाचार बनता है
माल का पकड़ा जाना अपने आप में एक महत्त्व पूर्ण घटना होतीहै =एक अधिकारी दौरे पर गए =उन्होंने तीन तहसील मुख्यालयों का मुआयना किया -दौरा करके लौटे तो पाया कि महगी रिस्टवाच कहीं फ्रेश होते समय रह गई =पी ऐ ने तीनों जगह फोन कर दिया -घड़ी की मेक हुलिया आदि बतला दिया =कहते है कि दूसरे दिन साहिब सुबह बाथरूम गए तो घड़ी बात रूम में मिल गई =कहते है कि तीनो जगह फोन लगाया गया कि घड़ी मिल गई है तलाश न की जाए =यह भी कहते हैं कि तीनों जगह से जवाब आया =यह आप क्या कह रहे है सर -घड़ी जप्त की जा चुकी है =मुलजिम कोगिरफ्तार किया जा चुका है और मुलजिम ने अपना इक्वालिया बयान देकर जुर्म कुबूल भी कर लिया है
ऐसी बहुत सी बातें हैं किपहले क्या होना चाहिए और बाद में क्या होना चाहिए और लगभग सभी बातें अनुत्तरित हैं -पहले मुलजिम को गिरफ्तार किया जाना चाहिए फिर माल बरामद करना चाहिए या पहले माल बरामद करना चाहिए =पंचनामा बना कर माल बरामद करना चाहिए या माल बरामद करके पंचनामा बनाना चाहिए =पहले शादी होना चाहिए फिर प्यार होना चाहिए या पहले प्यार होना चाहिए =पहले एन्कौन्टर होना चाहिए फिर अपराधी को गोली मरना चाहिए या पहले गोले मार देना चाहिए फिर एनकाउंटर दिखाया जन चाहिए =पहले क्षमा याचना करना चाहिए या पहले अभद्रता करके फिर मुआफी मांगना चाहिए =किसी को टक्कर मार कर पहले गाली देना चाहिए फिर क्षमा मांगना चाहिए या पहले सॉरी बोल देना चाहिए फिर गाली देना चाहिए =आजकल के लड़के करते हैं न -तेज़ गाड़ी चलाएंगे टकरायेंगे और सॉरी बोल देंगे यदि टक्कर खाने वाला कुछ फिर भी कहता है तो कहते है अबे साले सॉरी बोल तो दिया और क्या तेरे पैर पड़ने लगें -अब सीधी तरह से चला जा बरना ........
क्या हुआ कि किसी ने युद्दसिंह जी को गधा कह दिया -क़ानून के जानकर थे -दफा ५०० का अर्थ बखूबी समझते थे सो मान हानी का दावा कर दिया =हालाँकि ऐसे मुक़दमे बमुश्किल तमाम साबित होते है लेकिन युध्य सिंह जी रसूखदार इज्जत दार थे सो जुर्म सिद्ध हो गया नेक चलनी कि जमानत हो गई भविष्य में ऐसा न करने कि हिदायत मिल गई =अपराधी बोला हुज़ूर में कान पकड़ता हूँ अब कभी इन्हे गधा नहीं कहूंगा -मगर सरकार एक बात बता दीजिये कि किसी गधे को तो युध्यसिंह कह सकता हूँ -अदालत ने आई पी सी की दफा ४९९ का आद्योपांत अध्ययन करके कहा कि भाई इसमें तो ऐसा लिखा है कि किसी व्यक्ति को बोल कर -लिखकर -पढ़कर छाप कर अपमानित करेगा =और चूंकि गधा व्यक्ति नहीं है तो उसे आप जो चाहे कह सकते हैं =अदालत को धन्यबाद देकर जाते वक्त अपराधी ज़ोर से बोला ++नमस्ते युध्यसिंह जी
पहले बोलना चाहिए फिर सोचना चाहिए या पहले सोचना चाहिए फिर बोलना चाहिए क्योंकिअगर सोच कर बोला तो सुनने वाला एक किलोमीटर तक जा चुका होगातब बोलना शुरू होगा =कहते है कि पति नामक प्राणी सोच कर बोलता है और पत्नी बोल कर सोचती है =झगडा हुआ तो पति गुस्से में बोला -हे प्रभु =तेरी दुनिया में दिल लगता नही बापस बुलाले हे मालिक उठाले =पत्नी भी रोते हुए कहने लगी प्रभु मुझे भी उठाले -सुन कर पति बोला प्रभु ऐसी बात है तो में अपनी प्रार्थना बापस लेता हूँ और गाने लगा -जीना यहाँ मरना यहाँ इसके सिवा जाना कहाँ =खैर -शादी से पहले अपने सारे अफेयर्स बता देना चाहिए या शादी के बाद धीरे धीरे बतलाना चाहिए =पहले विरोध करना चाहिए फ़िर समझोते का अर्थ समझना चाहिए या पहले अर्थ समझना चाहिए फिर विरोध करना चाहिए = मुशायरे या कविसम्मेलन में पहले शेर समझना चाहिए फिर दाद देनी चाहिए या पहले दाद दे देना चाहिए फिर अर्थ समझना चाहिए -एक कवि सम्मलेन में कविकी दाढ़ में दर्द हो रहा था बेचारा परेशां था कि नाम पुकार लिया गया -माइक पकड़ते ही बेचारे ने कहा " आज मेरी दाढ़ में दर्द है " श्रोताओं में से आवाज़ आई "वाह वाह क्या बात है -क्या तसब्बुर है क्या जज्वात है साथ ही मुक़र्रर की आवाजें भी
पहले चूहों को गिन कर किसी अस्पताल में मौजूद चूहों कि संख्या बतलाना चाहिए या पहले संख्या बतला देना चाहिए फिर गिनती करना चाहिए और भी बहुत सी बातें हैं मसलन सब कुछ लुटा का होश में आना चाहिए या होश में आकर सब कुछ लुटा देना चाहिए =पुत्र कुपुत्र हो तो धन संचय करना चाहिए या धन संचय करके सुपुत्र को कुपुत्र बना देने में सहायक होना चाहिए / एक बात और कोई रचना लौटा कर लेखक के प्रति खेद व्यक्त कर देना चाहिए या उसे प्रकाशित करके पाठक के प्रति खेद प्रकट क्र देना चाहिए और यह भी कि किसी के जख्मों पर नमक छिड़क क्र हसना चाहिए या किसी के ज़ख्मों पर हंस हंस कर नमक छिड़कना चाहिए

Monday, July 14, 2008

kavi na houn nahi chatur kahavahun

कवि न होऊ नही चतुर कहाबहूँ

बात पुरानी किंतु सत्य -समाचार पत्रों से प्रमाणित सत्य -पनामा में एक कवि को इसलिए नौकरी से निकल दिया गया था क्योंकि वह कविताये करता था विश्वास न हो टू जनवरी से मार्च ९७ के समाचार पत्र उठा कर देखें -
अब कवि है तो कविताएँ तो करेगा ही- जिसप्रकार किसी जगह नियुक्ती हो जाने पर पुलिस वेरीफीकेशन बुलवाया जाता है उसी तरह पहले यह प्रमाणपत्र भी मगवाया जाना चाहिए की ये सज्जन कहीं कवि तो नहीं हैं या फिर आवेदक से शपथ पत्र लेना चाहिए की वह कवि नहीं है या दौरान सेवा वह कविताएँ नहीं लिखेगा -
कहते है कवि पैदा होता है बनता नहीं है वहीं यह भी कहा गया है की कब कौन कवि बन जाए कहा नहीं जा सकता - मौत -ग्राहक और कवित्व भाव का कोई भरोसा नहीं कब आजाये -तो ऐसी स्थिति में अव्वल तो कवि को नौकरी ही नहीं करना चाहिए और अगर नौकरी में रहते साहब की डाट फटकार -पत्नी की लताड़ -बच्चों की उद्दंडता -महगाई -तंगी -चिंता -तनाव -अशान्ती और बेचेनी गहन निराशा व दुःख इत्यादी से उसमें कवित्व भाव जाग्रत हो जाए तो उसे स्वयम ही तत्काल नौकरी छोड़ देना चाहिए और ==बडे बे आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले =से बच लेना चाहिए
शादी से पहले और नौकरी से पहले व्यक्ति वास्तव में कवि होता ही है वह चाँद -सितारे -बसंत -पुष्प -मोर -चातक -पपीहा सब पर लिखता है और सचोट लिखता है लेकिन शादी के बाद वह लिखता है आधा किलो आलू -सौ ग्राम मिर्च पर =एक किलो तेल पर -राशन की दुकान पर -चाँद सितारे उसके दिमाग में आते ही नहीं वह चाँद देखता है तो उसे रोटी दिखाई देती है -पूनम का चाँद यानी पूरी रोटी और अस्ट्मी का यानी आधी रोटी-
नौकरी तो कवि पुराने जमाने में भी करते थे और राज्य द्वारा उन्हें धन व सत्कार भी दिया जाता था भूषन आदि इसके प्रमाण हैं आम लोग भी कवियों को आमंत्रित करते थे और पारिश्रमिक कहो या कुछ भी कहो -विदाई के वक्त कुछ देते थे -यह इस बात से प्रमाणित होता है की =कवि को देन न चाहे विदाई पूछो केशव की कविताई =
वैसे भी आजकल नौकरी उन्ही की सही सलामत है जो यह सिद्धांत रखते है की =कवि न होऊ नहि चतुर कहावहूँ रुची अनुरूप साहब गुन गावहूँ= जो कवि नौकरी करते हैं वे अक्सर उदास ही रहते हैं कविता का मूड बनते ही बच्चे की फीस याद आने लगती है
मेरी बात सुनने में बडी अटपटी व बेहूदा लगेगी -मगर सत्य मानिए आज दुनिया में सबसे ज़्यादा कवि व शायर हैं मैं तो कवि गोष्टियों में देखता हूँ न -बहुत प्रचार प्रसार के बाद श्रोता तो कोई आते ही नहीं २५-३० कवि आते हैं हाथों में मोटी मोटी डायरियाँ लेकर रोकड़ वही खाता लेकर =अपना नम्बर आया रचना सुनाई वाह वाह सूनी अपना स्थान ग्रहण किया थोड़ी देर बैठे और खिसकने की जुगाड़ जमाने लगते हैं समापन के वक्त रह जाते है ७-८ कवि वो तो अच्छा है की आयोजक चाय नाश्ता सबसे आख़िर में रखता है - वाह वाह क्या बात है क्या तसब्बुर है क्या जज्बात है यह बोलना कवि गोष्ठी में जरूरी होता है तुम नही कहोगे तो तुम्हारी पर कौन कहेगा
पहले लेखक कम थे पाठक ज़्यादा आज लेखक ज़्यादा है पाठक मिलते ही नहीं -मुझे बचपन में किताबें ही नहीं मिली १४ साल का होते होते -किस्सा तोतामेना -सिंहासन बत्तीसी -बैताल पच्चीसी -चंद्रकांता संतति -भूतनाथ ही पढने को मिले जब शहर आया टीबी उपन्यास मिल पाये -आज किताबें है तो बच्चों को साहित्य में रूचि नहीं है
वैसे आचरण संहिता के मुताबिक कोई सेवक कविताएँ व लेख नहीं लिख सकता न प्रकाशित करवा सकता - वह किसी साहित्यिक समारोह दी अध्यक्षता नहि कर सकता =हाँ वह कार्यालय के समय में या समय उपरांत दारू पी सकता है -प्लाट खरीदने के नाम से फर्जी लोन प्राप्त कर सकता है -स्वस्थ पत्नी को बीमार बताकर उसके इलाज के पैसे ले सकता है किसी क्लब का सदस्य हो सकता है डांस बार में नाच गाने देख सकता है मगर कविताये न तो कर सकता है न छपवा कर कुछ पारिश्रमिक प्राप्त कर सकता है
समसामयिक मुद्दे पर संयत भाषा में साचोट कटु सत्य की अभिव्यक्ति कवि को नौकरी से हाथ धुल्वा सकती है- इसीलिए दुष्यंत जी ने ऐसे कर्मी कवियों को सावधान किया था की ==मत कहो आकाश में कुहरा घना है -यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है -एक प्रसिद्ध शायर ने भी सावधान किया था की =मुमकिन हो कल जुबानो कलम पर हों बंदिशे -आंखों को गुफ्तगू का सलीका सिखाइये

Yog se badh kar hai yogaa

योग से बढकर है योगा

योग तो पुरानी बात है अत उन्होंने योगा करने की ठानी -वैसे भी कुछ लोगों के लिए योगा लाभ की बजाय फेशन की बस्तु ज़्यादा है उनके आधे मोहल्ले और जान पहचान वालों को विदित हो चुका है की श्री मान जी योगा करते हैं फिर भी उनके बच्चों की यही इच्छा रह्ती है की दोराने योगा कोई आए उनसे पापा के वारे में पूछे और वे फक्र से बताएं की पापा इस वक्त योगा कर रहे हैं
इसके लिए उन्होंने २५ मिनट का समय चुना घर के सब सदस्यों को निर्देश था की इस अवधि में सब चुप रहें - पापाजी डिस्टर्ब न हों इसलिए बडी लडकी कमरे के किवाड़ बंद करके अंदर से सांकल चढा देती और बाहर से छोटी लडकी किवाड़ ठोकती रहती रोटी चिल्लाती रहती पत्नी झुंझलाती रहती और लड़का आवाज़ बंद करके किरकेट मैच देखता रहता - जब वे योगा करने बैठते तो घड़ी सामने रख लेते -शांती से बैठने में इन पच्चीस मिनट में वे ३५ बार आसन बदलते और ७५ मरतबा घड़ी देखले की कब पच्चीस मिनट पूरे हों और वे शबासन में लेटें
जैसे साल में दो बार नौ दिन तक पारायण करने वाले पहले से ही विश्राम पर निशान लगा देते हैं और आधे घंटे बाद ही शेष बचे प्रष्ठ गिनने लगते हैं फिर बचे हुए दोहे गिनने लगते हैं और जैसे जैसे विश्राम नजदीक आने लगता है उन्हें विश्राम मिलने लगता है -ठीक वैसे ही जैसे जैसे सुई पच्चीस मिनट की और बढ़ती इनकी प्रसन्नता बढ़ने लगती -इनके चेहरे की प्रसन्नता देख कर बच्चे समझते की पापाजी को योगा से ब्लेसनेस प्राप्त हो रही है
` शबासन उन्हें अत्यन्त प्रिय लगा जैसे अजगर से कह दिया जाए की तुम १५ मिनट चुपचाप पडे रहो या उन शंकर जी से जो "शंकर सहज सुरूप तुम्हारा -लगी समधी अखंड अपारा और =बीते संबत सहस सतासी -तजी समधी संभु अविनासी से कहा जाए तुम दस मिनट का मेडी टेशन 'क्या फर्क पढेगा वैसे ही तो वे यूँ ही दिनरात पलंग पर डले रहते है अब तो शब आसन है -पहले तो पत्नी की टोकाटाकी थी सब्जी ले आते -चक्की पर चले जाते -एकाध बाल्टी पानी भरवा देते आदि इत्त्यादी -अब तो योगा है कोई रोक टोक ही नहीं
किताबी निर्देशों के मुताबिक वे कमर सीधी करके बैठते मगर आदत के मुताबिक आधा मिनट में ही कमर झुकजाती -ध्यान के क्षेत्र में इसे सुबह लक्ष्ण माना जाता है - बशर्ते कमर ध्यान में डूबने पर झुके मगर यहाँ तो आदतन झुक रही है -शायद दुश्यन्त्जी ने ऐसे ही मोकों के लिए कहा होगा =ये जिस्म बोझ से दबकर दुहरा हुआ होगा -में सजदे में नहीं था आपको धोका हुआ होगा =
आज उनके पास योगा का सचित्र और विचित्र -प्राचीन और नवीन हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषा में बहुत सा साहित्य एकत्रित हो गया है -पतंजली जी ने जितने आसन बताए होंगे उनसे ज़्यादा ये जानने लगे हैं -योगी वशिष्ठ ने योग से जितने लाभ बताए होंगे उनसे ज़्यादा योगा से होने वाले लाभ इन्हें याद हैं
एक दिन मैंने उनसे पूछा की तुम मेरे अज़ीज़ हो -ये किताबी ज्ञान मुझे मत बतलाना -ये तो सब मैंने भी पढ़ सुन रखे हैं -तुम तो यह बतलाओ की तुम्हे हासिल क्या हुआ -क्या उपलब्धी हुई =तो उन्होंने शेर के गले में फंसी हड्डी का किस्सा सुना दिया की अगर शेर के गले में फंसी हड्डी लम्बी चोंच वाला सारस निकाल दे और शेर से पारिश्रमिक या ईनाम मांगे -तो भइया सबसे बडा ईनाम तो यही है की चोंच साबुत बाहर निकल आई इसी प्रकार सबसे बडी उपलब्धी तो यही है की वर्तमान शोर प्रदूषण के युग में हमारा परिवार आधा घंटा चुप रहकर विश्व की सेवा कर रहा है
शोर से होने वाली हानी के बारे में आम लोगों को जानकार नहीं है -जिनको जानकारी है वे खामोश है -हवाई जहाज -मोटर -ट्रक -रेल फेक्टरी आतिश्वाज़ी पठाके लाउड इस्पीकर फुल आवाज़ में अपने घर में रेडियो या टी वी चलाना इनसे दिल के रोगी को -नवजात शिशु को -अशक्त ब्रद्धों को -गर्भवती महिला को क्या क्या नुकसान होते है हम नहीं जानते =रेलवे लाइन के निकट वाशिंदों को क्या क्या रोग घेर लेते है यह भी हमको पता नहीं है =दीवाली पर पठाके चलाने वाबत सुप्रीम कोर्ट ने क्या निर्देश दिए थे हमने उन्हें कितना माना =बोलने से कितना नुकसान होता है हमें पता नहीं =गंभीर रोगी को डाक्टर बोलने से क्यों मना करता है सोचा नहीं
उनकी बात मुझे सटीक लगी काश हम भी थोड़ा थोड़ा चुप रहकर वातावरण में फैल रहे शोर प्रदूषण को कम करने में सहायक बनें

Sunday, July 13, 2008

दुखडा कासे कहूं

स्कूल और कालेज शासकीय काम काज की तरह धीरे धीरे खुलने लगे -बच्चे कामकाजी महिलाओं की तरह व्यस्त होने लगे -घरों में योगी के मन की तरह शान्ति और विद्यालयों में संसद की तरह अशांति का वातावरण निर्मित होने लगा - माँ-बाप को ऑडियो और बीडियो केसेट के शोरगुल से रहत मिली - जगह जगह कामिक्स किराये पर देने वाले अन्य व्यवसाय की तलाश करने लगे और विद्यार्थी रूपी पुत्र -पुत्री के स्कूल कालेज चले जाने और कर्मचारी रूपी पति के ऑफिस चले जाने से पत्नियाँ अकेले बोर होने लगी =उन्होंने पडोसिन को आवाज़ दी बहन क्या कर रही हो -झाडू लगा रहीं हूँ -यहीं आकर लगालो न में अकेले बोर हो रही हूँ =
कुछ पिता गण अपने पुत्र के भविष्य के साथ अपने भविष्य के प्रति चिंतित होने लगे =भविष्य के प्रति चिंतित होना मानव स्वभाव है और कुछ दुकाने हजारों सालों से आदमी की इसी मनोवृत्ति के कारण चल रही हैं =हर व्यक्ति अपना भविष्य जानना चाहता है =हाथ दिखता है जन्म कुंडली दिखता हैवे कह रहे थे ==अपने हाथों की लकीरें तो दिखादूं लेकिन -क्या पढेगा कोई किस्मत में लिखा ही क्या है == खैर -एक नव विवाहित जोड़ा एक ज्योतिषी के पास पहुंचा =ज्योतिषी ने पत्नी से पूछा क्या आप अपने पति का भविष्य जानना चाहती हैं - वह बोली आप तो इनका अतीत बतला दीजिये इनका भविष्य तो अब मेरे हाथ में है
ग्रामीण अंचलों के गुरुकुल रूपी विद्यालयों के मास्साब एक दूसरे से संपर्क करने लगे क्योंकि दोनों को मिल कर एक एक हफ्ता ड्यूटी देना है और ६-६ दिन के आकस्मिक अवकाश की दरखास्तें एक दूसरे को प्रदान करना है =शासकीय नियम के वावजूद वहाँ केजुअल लीव का रजिस्टर मेंटेन नहीं होता है क्यों किकोई केजुअल लीव का लाभ उठता ही नहीं है
रेगिंग प्रथा से जूझने के लिए विद्यार्थी किसी टायसन जैसे गुरु से शिक्षा लेने को बैचेन हैं और डोनेशन प्रथा से जूझने के लिए पिता श्री किसी मेहता जैसे गुरु से शिक्षा लेने दो वेताब है =वैसे वर्तमान छोटे छोटे स्कूलों की फीस वही से मिलने वाली किताबें और कॉपियाँ और ड्रेस वस्ते की कीमत किसी बड़े स्कूल के डोनेशन से कम नहीं बैठती
मैं अपना दुःख किसी से नहीं कहता -मगर सोचता हूँ की इस रेगिंग प्रथा को इस देश में प्रचलित करने वालों ने खेवर और बोलन के दर्रे से प्रवेश किया अथवा वे जल या वायु मार्ग से आए =क्यों कि इस प्रथा को चालू करने में विदेशी ताकतों के हाथ होने की संभावनाएं इसलिए भी बलवती हैं क्योंकि इतिहासवेत्ता बतलाते हैं कि सिन्धुकालीन सभ्यता में कोई चिन्ह उन्हें इस प्रथा के नहीं मिले और पुरातत्ववेत्ता बतलाते हैं कि मोहन जोद्रो और हरप्पा की खुदाई में उन्हें इस प्रथा के कोई अवशेष नहीं मिले =प्राचीन ग्रंथों के अनुसार गुरुकुलों में भी यह प्रथा नहीं थी
प्रथाये दो तरह की होती हैं अच्छी व् बुरी -यदि यह प्रथा अच्छी है तो इसका व्यापक प्रचार व् प्रसार होना चाहिए -प्राईमरी स्कूलों में भी यह प्रथा डाली जाना चाहिए -शासकीय और अर्धशासकीय कार्यालयों में भी इसे लागो करना चाहिए दूर दर्शन और समाचार पत्रों में शाश्कीय विज्ञापन देने चाहिए =और यदि प्रथा बुरी है और इसकी वजह से किसी जूनियर की जान भी जा सकती है और शिक्षा जगत पर लगा हुआ यह एक धव्वा है तो शिक्षित बनने -बच्चियों को शिक्षित बनने कि प्रेरणा वाले विज्ञापन टीबी पर बतलाने चाहिए क्योंकि विधार्थी और बच्चे टीबी से बहुत ज़ल्दी सीखते है =वे सीख जाते हैं कि कैसे कक्षाओं की कार्यवाही नहीं चलने देंगे -सब एक साथ बोलेंगे -कोई किसी कि नहीं सुनेगा -शिक्षक के बार बार अनुरोध करने पर भी शांती से अपनी शीट पर नहीं बैठेंगे -शिक्षक का घेराव करेंगे आदि इत्यादि -यह सब वे लाइव टेलीकास्ट से मार्गदर्शन प्राप्त कर रहें हैं
डोनेशन वाला दुःख भी में किसी से नहीं कहना चाहता -क्योंकि यह एक अंग्रेज़ी शब्द है और अंग्रेजी शब्द की बुराई करने पर सारे विश्व के अंग्रेज़ी प्रेमियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है - इसका हिन्दी शाब्दिक अर्थ है अनुदान =दान की बुराई और इस देश में -गज़ब हो जाएगा-यहाँ गाय का दान इसलिए होता क्योंकि उसकी पुँछ पकड़ क्र बैतरनी पार की जाती है =गाय न हो तो गाय के पैसे भी दान में गाय के नाम पर दिए जा सकते हैं मज़ा देखिये ११ रुपे में भी गाय आ सकती है =सब दानों में श्रेष्ठ विद्यादान है और विद्यादान का स्थल शाला है और शाला का विकास आवश्यक है तो शाला के विकास के लिए अनुदान आवश्यक है = जब शिक्षकों का विकास होगा तो विद्यार्थियों का विकास होगा और विद्यार्थी देश का भविष्य हैं तो देश का विकास भी होगा -गोया शाला विकास के लिए दिया जाने वाला डोनेशन देश के विकास के लिए सहायक है
दूसरी बात यह भी है की डोनेशन से पुत्र का विकास भी होता है =दान की हुई राशिः कई गुना होकर वापस मिलती है -जब दान के रूप में पुत्र का विकास होगा तो दान की हुई राशी कई गुना होकर दहेज़ के रूप में वापस मिलेगी
सार बात यह है की आपको किसी घोटाले में ही क्यों न शामिल होना पड़े पुत्र के भविष्य के लिए डोनेशन और पुत्री के भविष्य के लिए दहेज़ की जुगाड़ तो जमाना ही होगी जुगत तो लगानी ही होगी