Thursday, April 17, 2008

शर्मनाक

एक दस वर्षीय वालिका मिनी इस्कर्ट और टॉप पहने नृत्य कर रही है -उसके माता पिता अपनी होनहार बालिका का नृत्य देख कर आनंद मग्न हो रहे हैं -डेक पर केसेट बज रहा है =तू चीज़ बडी है मस्त मस्त = गाने के बोल के अनुसार ही बालिका का अंग संचालन हो रहा है - देश की इस भावी कर्णधार -समाज में नारी समुदाय का नेतृत्व करने वाली बालिका की भाव भंगिमा ने पिता का सर गर्व से ऊंचा उठा दिया है - और पिता की प्रसन्नता देख माताजी भी भाव विभोर हो रही हैं
यह सुना ही था की साहित्य समाज का दर्पण है आज प्रत्यक्ष देख भी लिया -वस्त्रों और अंगों पर लिखा जा रहा फिल्मी साहित्य अब गर्व की वस्तु होने लगी है -
प्रगतिशील कहते हैं नारी वस्तु नहीं है और ज़्यादा प्रगतिशील कहते हैं कन्यादान नहीं होना चाहिए क्यों की दान सम्पति का होता है और कन्या सम्पति नहीं है =अगर दान कन्या का होता है तो पुत्र का भी होना चाहिए -दूसरी और यह बालिका अपने आप को चीज़ कह रही है =
साहित्य और संस्कृति पर विविध रूपों में प्रहार होता रहा है चाहे वह अश्लील गीत हो या द्विअर्थी संबाद हो -पहले द्विअर्थी संबाद का अर्थ व्यंग्य होता था अब वे अश्लीलता का पर्याय है -सवाल यह नहीं है की वे किसने लिखे सवाल ये है की वे चले क्यों
कुछ वर्ष पूर्व दूरदर्शन से सुरैया जी पर प्रोग्राम प्रसारित किया जा रहा था =जब सुरैयाजी ने कहा की एक बार शूटिंग के दौरान उनका दुपट्टा गिर गया थी तो डायरेक्टर ने उस सीन को दुबारा फिल्माया था और दुपट्टा फ़िर न गिर जाए इसलिए पिन लगाई थी =यह घटना सुनकर समस्त श्रोतागन प्रसन्नता से झूम उठे थे और हाल तालियों की आवाज़ से गूँज गया था =मतलव साफ है अधिकांश लोन आज भी शालीन द्रश्य पसंद करते हैं = कुछ वर्षों बाद फूहड़पन और अश्लीलता देख लोग उबकाई लेंगे और शालीन तरीके से धारण किए गए वस्त्रों वाली फिल्में हॉउस फुल होंगी
किसी लडकी या नारी को देख कर चीज़ कहना कुत्सित मानसिकता का प्रतीक है -फूहड़ और अश्लील नाच पर सीटी बजा कर हुल्लड मचाने वालों की भाषा संस्कार में आरही है लडके आज उस धुन पर गा रहे हैं और लडकियां उस धुन पर झूम रही हैं -इससे ज़्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है
नारी चाहे पत्नी हो -माँ हो बहिन हो पुत्री हो या कोई भी हो उसे तेजस्वनी दामिनी बनाया जासकता है उसे प्रतिभासंपन्न तेजपुंज युक्त और सामर्थ वान बन ने की प्रेरणा दी जा सकती है =अत्याचार और अन्याय -शोषण और उत्पीड़न के विरोध में खडा होना सिखाया जा सकता है -उसे मंत्री से लेकर सरपंच और पंच बन ने तक की प्रेरणा देना चाहिए मगर नारी के प्रति अशोभनीय वाक्यांशों का प्रतिकार होना चाहिए

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