Saturday, May 10, 2008

नल से आता नीर

एक निश्चित स्थान पर नट बोल्ट से जकडा होने के बावजूद जो चला जाता है तथा जिसकी लोग महबूबा की तरह प्रतीक्षा करें व बकौल एक शायर "न उनके आने का वादा न यकीं , न कोई उम्मीद /मगर क्या करें गर न इंतज़ार करें -की तर्ज़ पर जो वर्ताव करे उसे नल कहते हैं / आके न जाए उसे मेहमान कहते हैं और जाके न आए उसे नल कहते हैं / जिसके घर में हो उसके यहाँ पानी न आए और जिसके घर न हो उसके यहाँ बिल आजाये उसी को नल कहते हैं
वह जमाना गया जब कहानियाँ इस प्रकार से शुरू होती थीं की -एक राजा था -आज सारी कहानियां ,कविता ,गजल ,दास्ताने दफ्तर इस वाक्य से शुरू होते हैं कि नल नहीं आया /गोया नल -नल न हुआ जवानी हो गई जो लौट कर नहीं आती /किसी को नल से पानी भरते देखो , पूछो ,कहिये जनाब -पानी भरा जा रहा है ,झुंझलाहट भरा जवाब मिलेगा "नहीं जी बूँदें गिनी जा रही हैं /
अब जमाना बदल गया है -आज कोई किसी की खातिर रोता नहीं है ""कौन रोता है किसी की खातिर अय दोस्त ,सबको अपने अपने नलों पर ही रोना आया /
कुछ भी हो नल जल के लिए तो प्रसिद्ध हैं ही / जैसे यह पशु वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि मगर मच्छ की आंखों में अश्रु ग्रंथियां होती ही नहीं है इस लिए वह आंसू वहा ही नहीं सकता मगर लोक में मगरमच्छी आंसू प्रसिद्ध है इसी प्रकार नल में जल ग्रंथियां न होते हुए भी जल के लिए नल लोक में प्रसिद्ध हैं ही /
यह भी एक बिडम्बना है कि अपने घरेलू नलों में डायरेक्ट मोटर लगा कर पानी खींच लेने वाले मोहल्ले के संभ्रांत नागरिकों को यह कतई गवारा नहीं होता कि घरेलू नल विहीन मोहल्ले के वाशिंदे सार्वजनिक नल पर तू -तू =मैं-मैं करें मगर होती है क्योंकी नल का बूँद बूँद टपकना उसका स्वभाव है और पानी भरने वालों की तू -तू= मैं- मैं करना उनकी आदत है =स्वभाव और आदत में हमेशा से तकरार चली आरही हैं / यह तकरार उस जमाने में भी थी जब नल नहीं थे और उस जमाने मैं भी रहेगी जब नलों का जाल बिछा दिया जायेगा /
तू तू मैं मैं से बचने का एक ही तरीका है कि नल से लाइन लगा कर पानी भरना / किंतु जबसे हमारे देश में फिल्मी हीरोगन ने यह परिपाटी डाली है कि ""हम जहाँ खड़े होंगे लाइन बहाँ से शुरू होगी "" तव से लाइन प्रथा कुछ प्रजातियों की तरह लुप्त प्राय है क्योंकि हर मोहल्ले में तीन चार हीरो का होगा आवश्यक है तो लाइनें भी चार से कम क्या लगेंगी
लाइन के बाद समस्या होती है बर्तन की जो कि शक्ल और किस्मत की तरह नाना आकार प्रकार के होते है और जिसका जितना आंचल होता है उतनी ही उसको सौगात मिलती है और लाइन में जब एक ही बर्तन में पानी भर कर हटना है तो क्यों न बडे बडे बर्तनों का प्रयोग हो , तो फिर तू तू मैं मैं इस बात पर कि "उसकी बाल्टी मेरी बाल्टी से बडी कैसे ""
नल ने बहुत सी बांते सिद्ध करदी हैं -यह सिद्ध कर दिया है कि बूँद बूँद से घट भर जाता है -यह सिद्ध कर दिया है कि सब्र का फल मीठा होता है /जिसका नम्बर लग जाए वह ऐसे जमा रहना चाहे जैसे जैसे लोग कुर्सी पर जमे रहना चाहते हैं और और शेष पानी भरने वाले भावी प्र्यत्याशी उसे ऐसे देखते रहें जैसे भावी वर्तमान की डगमगाती कुर्सी को देखता है
नल तो रहीम जी के जमाने मैं भी थे और उन्होंने हिदायत दी थी कि नल बहुत गहरे लगवाना चाहिए तो आजकल लोग उन्ही के आदेश का पालन करने में लगे रहते है जहाँ देखो नल गहरे हो रहे है और मिल मिला कर फेरूल में से गोली निकल वाई जा रही है आदमी मतलब की बात ज्यादा मानता है उन्होंने कहा था ""जेतो नीचो है चले त्यों त्यों ऊँचो होय "" नल और आदमी की गती बतलाई थी =नल के वारे में याद रहा ख़ुद नीचा होकर चलने की बात भूल गया / उन्होंने तो ये भी कहा था रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून ""घर में दो चार मटके पानी भर कर रखे ही रहना चाहिए " क्या पता कब विजली चली जाए और नल न आयें /
नल का जल ही जीवन है और जल ही जीवन का उद्देश्य है नल की और बढ़ता ठोस कदम ,दृढ संकल्प ,अवसर का लाभ , अपनी शक्ती का पूर्ण प्रदर्शन व प्रयोग देशी व विदेशी गालियों का सतत निरंतर अभ्यास साथ में जूडो कराते का ज्ञान सार्वजनिक नल से पानी भरने में सहायक होते हैं

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