Friday, April 4, 2008

ढूंढो ढूंढो रे सजना

इस संसार में चर अचर सचराचर जितने भी प्राणी होते हैं उनमें एक जीव ऐसा भी होता है जिसे सजन कहा जाता है /यह सजन इस संसार में कुछ न कुछ ढूँढने के लिए ही अवतरित होता है /अब से चालीस पचास साल पहले उससे कहा गया = ढूंढो ढूंढो रे साजना मेरे कान का बाला = अपनी इस खोज में वह सफल हो ही नहीं पाया था तव तक दूसरा आदेश प्रसारित हो गया = कहाँ गिर गया ढूंढो सजन बटन मेरे कुरते का =सिद्ध बात है उसमें भी वह असफल रहा तभी तो लगभग सभी म्यूजिक चेनल उनकी पुन्राब्रत्ति कर रहे है बिल्कुल पत्र -स्मरण पत्र -परिपत्र और अर्ध शासकीय पत्र की तरह /आप ही बताइए कान का बाला और बटन यदि सजन को मिल गया होता तो वह टीबी पर क्यों बार बार लगातार गाती =क्या पागल हुई है /इसे ही में एक औरत को देखता हूँ चिल्लाती है =हाय मेरी कमर -दबाई लगती है मुस्कराती है मगर एक घंटे बाद फिर =हाय मेरी कमर =आखिर इसी कैसी दबाई है -दस साल से देख रहा हूँ =इलाज परमानेंट होना चाहिए /

यह तो तय हो गया की सजन नामक प्राणी बाला और बटन जैसी तुच्छ चीजों को नहीं ढूँढ पाया तो किसी ख़ास हत्याकांड या किसी ख़ास समझोते का रहस्य क्या ढूँढ पायेगा /
ऐसा नहीं रे भाई / ढूँढता तो है बेचारा पर कभी कभी हार भी जाता है / अब वह आधुनिक संगीत में सुर ताल लय गाना किस राग पर आधारित है तथा गाने के बोल के अर्थ ढूँढता है -हस्त रेखाओं में भविष्य और जन्मपत्री में भाग्य ढूँढता है -राजनीती में चरित्र और आधुनिक पीढ़ी में संस्कार ढूँढता है -वर्तमान समस्याओं का समाधान हजारों साल पुराने ग्रंथों में ढूँढता है /कुछ लोगों की आदत होती है की वे कुछ न कुछ ढूंढते ही रहते है -कहते है ढूँढने में हर्ज़ ही क्या है /
कुछ लोग अपनी दैनिक दिनचर्या को त्याग कर जीवन का उद्देश्य ढूंढते है / हम कौन हैं क्या हैं कहाँ से आए है क्या लाये थे क्या ले जायेंगे इत्यादी इत्यादी और इस चक्कर में या तो वे कार्यालय देर से पहुँचते हैं या उनकी टेबिल पर फाइलों का अम्बार लग जाता है /उनकी पत्नियां सब्जी और आटे के पीपे का इंतज़ार करती रहती हैं / में कौन हूँ -कहाँ से आया हूँ क्यों आया हूँ ==अरे तू तू है घर से दफ्तर आया है काम करने आया है -बात ही ख़त्म /
कुछ लेखक लेख लिखकर डाक में डालकर चौथे दिन से पेपर में अपना नाम ढूढने लगते हैं उधर संपादक महोदय उस लेख को पढ़ते हैं तो टेबिल की दराज़ में सरदर्द की गोली ढूँढने लगते हैं और अगर छाप दिया तो पाठक क्या ढूडेगा कुआ या खाई /
इस धरती पर स्वर्ग और नरक ढूँढने वाले हजारों हैं जिनको यहाँ उपलब्ध नहीं हो पता है -वे ऊपर है इसी कल्पना करके जीवन जैसा जीना चाहिए वेसा जी नहीं पाते किसी ने कहा है =तू इसी धुन में रहा मर के मिलेगी जन्नत -तुझ को ऐ दोस्त न जीने का सलीका आया = इससे अच्छे तो कार्यालय के कर्मचारी होते हैं जिनका बॉस जब गुस्सा होता है और कहता है -गो टू हेल -तो वे सीधे अपने घर चले आते हैं /
कुछ लोग प्राप्त की उपेक्षा करके अप्राप्त को प्राप्त करके सुख ढूँढने की चाह रखते हैं तो कोई तनाव ग्रस्त -हताश -उदास -निराश -चिंतित व्यक्ति परिश्रम खेल व्यायाम मित्र मंडली हँसी मजाक को नज़र अंदाज़ कर नींद की गोलियां ढूंढते है /कुछ युवक खेलना बंद करके जवानी में बुढापा और कुछ बुजुर्ग मनोरंजन को अपना साधन बना कर युवावस्था ढूंढते है /
कुछ लोग मूड ठीक करने और गम ग़लत करने क्या ढूँढ़ते है आप सब को पता है =मधुशाला= गन्ने के रस वाली नहीं -हरिबंश जी की किताब भी नहीं बल्कि मधुशाला याने मयखाना =मुझे पीने का शौक नहीं पीता हूँ गम भुलाने को =मगर होता इसके बिल्कुल विपरीत है ==आए थे हँसते खेलते मयखाने की तरफ़ -जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए =
मजे की बात देखिये कुछ लोग मधुशाला में अपनी गुज़री उम्र ढूदते हैं = कहते हैं उम्ररफ्ता कभी लोटती नहीं जा मयकदे से मेरी जवानी उठा के ला = मयकदे से उठाई जवानी का तू क्या कर लेगा एक जवानी और कहीं नाली में पडी रहेगी /
हद की इन्तहा देखिये एक सज्जन विगत २५ साल से हाथ में लाठी लिए हुए उस ज्योतिषी को ढूँढ रहे हैं जिसने उनके और उनकी पत्नी के ३६ गुन मिलाये थे /कहते हैं मुझे पत्नी या उसके मायके वालों से कुछ नहीं कहना है मुझे तो उस पंडित को देखना है / इसलिए सज्नो सज्जनो नहीं -वेसे भी सजन और सज्जन में कोई बुनियादी फर्क नहीं है क्योंकि जो सज्जन हैं वे ही सफल सजन होते हैं और जो सजन हैं वे तो

No comments: