Friday, October 3, 2008

शिक्षा - स्तर - और मेरा भाषण

मैं अचानक भाषण देने लगा , कब आयेगा वो दिन जब प्राथमिक शालाओं की छत नही टपकेगी ,बैठने को टाटपट्टी,शुद्ध पानी ,साफ़ सुथरे बच्चे, प्रोपर ड्रेस में होंगे /

सर ,शिक्षक वावत आपने भाषण में कुछ नहीं कहा / भाषण शुरू होने से पहले ही किसी ने टोक दिया / मैंने फिर भाषण शुरू किया , शिक्षक वहां कहाँ होंगे /वे बोटर लिस्ट और फोटो परिचय पत्र बना रहे होंगे ,मर्दुम शुमारी और पशु गणना कर रहे होंगे /वार्डों में नालियां साफ़ हुई या नही देख रहे होंगे और जनसंपर्क का इन्द्राज कर रहे होंगे /पुनरीक्षित वेतनमान और महगाई भत्ते के लिए आन्दोलन कर रहे होंगे / पदनाम बदलवाने मीटिंग कर रहे होंगे , ,टी ऐ बिल ,मेडिकल बिल ,या जी पी ऍफ़ के लिए हेड क्वाटर के चक्कर लगा रहे होंगे या जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में अटेच होंगे -कुछ गाव से बापस तबादले की जुगाड़ में होंगे , भाषण के बीचमें फिर व्यवधान ;

फिर शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा ? मेरा भाषण फिर शुरू , स्तर से शिक्षक का क्या सम्बन्ध / स्तर के लिए कोचिंग है ,ट्यूशन है ,नक़ल है ,कम्पुटर है ,इन्टरनेट है ,सर्फिंग है,चेटिंग है , और इससे भी स्तर न सुधरा तो एक साइड और है =८० प्रतिशत साइबर कैफे इसी के दम पर चल रहे हैं और इसमें कोई बुराई भी नहीं है , आखिर यही तो उम्र है सीखने की ताकि आगे अन्य घातक बीमारियों से बचे रहें /

ऐसे ऐसे शार्टकट हैं कि बालक शीघ्र ही अंग्रेजी बोलने मैं आत्म विश्वास से भर जाए /मोबाइल से पढाई के साधन उपलब्ध हैं ,एस एम् एस द्वारा भी पढाई की जा सकती है / शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए संगोष्ठियों के अलावा ऐसे ऐसे मन्त्र हैं कि उनका जाप करते रहें तो विद्यार्थी विद्वान् हो जाए /आजकल तो ऐसे यंत्र भी उपलब्ध हैं वह भी मात्र कुछ हजार रुपयों में /साथ ही ऐसे भी यंत्र कि आदमी धन संपन्न हो जाए /कहीं ऐसे भी मन्त्र तंत्र होते हैं क्या साब अगेन रूकावट

देखिये ,भाषण फिर चालू ==कुछ तथा कथित आधुनिक , अविश्वासी ,प्राचीन ग्रंथों की महत्ता से अनभिग्य ,मेरी नजर में नाजानकार, नावाकिफ लोग कह देते हैं कि यंत्रों से कुछ नहीं होता इससे कहीं आदमी धनवान होता है मेरी द्रष्टि में वे अल्पग्य हैं ,उन्हें अपनी भ्रांतिया दूर कर लेना चाहिए मैंने प्राचीन ग्रंथों का गहन अध्ययन किया है /जो लोग यंत्रों की महत्ता से इनकार करते हैं और कहते हैं कि इनसे धन ब्रद्धि नहीं हो सकती उनको में चेलेंज करता हूँ के कंगाल व्यक्ति निश्चित अमीर बन सकता है "रंक चले सर छत्र धराई ""अजमा कर देख लीजिये -आपको बस इतना करना है कि यंत्र बना कर बेचना हैं /

इसके अलावा बाल दिवस है शिक्षक दिवस है उस दिन शिक्षक का सम्मान होना आवश्यक है क्योंकि वह शिक्षक ही तो होता है जो हमें हमारी दिशा और उनकी दशा बतलाते हैं . इसलिए देखना भर ये है कि बच्चों ने टाई बाँध रखी है या नहीं माँ बाप होम वर्क करबाने लायक शिक्षित हैं या नहीं स्कूल फीस ,स्कूल से मिलने वाली ड्रेस और स्कूल से मिलने वाली कापी किताबों का खर्च वहन करने लायक उनकी आर्थिक स्थिति है या नहीं =स्तर सुधरने वाले तो बहुत /हैं

9 comments:

Arvind Mishra said...

शिक्षा के स्तर पर चिन्तन के कई पहलुओं को आपने लिया है !बधाई !

सचिन श्रीवास्तव said...

बढिया बढिया... लिखते रहे यहीं बैठे हैं टीम टाम लेकर... अपना मेल आइडी तो दे देते गुरु

प्रदीप मानोरिया said...

श्रीमान श्रीवास्तव जी
आपके दोनों ब्लॉग मस्त हैं . मेरा फ़ोन नम्बर ०९४२५१ ३२०६० है आपका संपर्क क्रमांक देने का अनुग्रह करें . मेरा ब्लॉग अपनी सूची में जोड़ने के लिए
सबसे पहले आपके ब्लॉग पर लोग इन करे फ़िर अनुकूलित करे पर जाए उसमे ले आउट सेटिंग पर जाए ले आउट सेटिंग में गजेट जोड़े दबाये पॉप उप विंडो में ब्लॉग सूची वाला विकल्प प्रोग करें उधर मेरे ब्लॉग का एड्रेस लिखे
सहेजे फ़िर ब्लॉग देखे

रश्मि प्रभा... said...

इसके अलावा बाल दिवस है शिक्षक दिवस है उस दिन शिक्षक का सम्मान होना आवश्यक है क्योंकि वह शिक्षक ही तो होता है जो हमें हमारी दिशा और उनकी दशा बतलाते हैं . इसलिए देखना भर ये है कि बच्चों ने टाई बाँध रखी है या नहीं माँ बाप होम वर्क करबाने लायक शिक्षित हैं या नहीं स्कूल फीस ,स्कूल से मिलने वाली ड्रेस और स्कूल से मिलने वाली कापी किताबों का खर्च वहन करने लायक उनकी आर्थिक स्थिति है या नहीं =स्तर सुधरने वाले तो बहुत /हैं ....
bahut sahi kaha hai,is pahlu par hi sochna chahiye.
aapne mere blog ko padha -shukriyaa
......kalam mann ka tej hai,blog madhyam hai

अभिषेक मिश्र said...

Sikcha se jude kai pahluon ko shashakt dhang se uthaya hai apne. dhanyawad.

अभिन्न said...

शिक्षा जैसे संजीदा विषय पर आपकी सोच और चिंता जानकर तो वाकई लगा की यंहा कुछ कुछ नही बहुत कुछ होता है,धन्यवाद श्रीवास्तव जी अछ्छा लेखन ..जिससे अभी तक मै वंचित था

कडुवासच said...

गम्भीर विषय पर प्रभावशाली अभिव्यक्ति है।

Asha Joglekar said...

बहुत सटीक व्यंग ।

anita saxena said...

शिक्षा और शिक्षक दानों पर अच्छे व्यंग्य वाण चलाए हैं आपने जो काफी कुछ हकीकत भी बयान कर जाते हैं । बहुत अच्छा लिखा है